अब तक आपने "पहाड़ी आदिवासी लड़की" के साथ हुये अन्याय और धोखेबाजी के बारे में कुछ घटनाओं को पढ़ा. अब आगे...
*****************
'पहाड़ी आदिवासी लड़की' दरवाज़ा खटखटाती है. अंदर 'क्रांतिकारी भाई', 'जानकार वकील', 'एक लड़की (जो उस रात शराब पीने और 'धर्मनिरपेक्ष अपराधी' के घर रुकने से इंकार कर देती है)' और टीम के एक और सदस्य रहते हैं. 'पहाड़ी आदिवासी लड़की का हर इंसान से विश्वास उठ चुका था, इसलिये वह किसी को कुछ नहीं बताती और उनसे कोई सवाल-जवाब भी नहीं करती है. 'दबंग औरत' से उसके पुराने और भावनात्मक सम्बंध रहते हैं, इसलिये वह उसी को सब बताना चाहती है. लेकिन 'दबंग औरत' एक बलात्कार के मामले में फैसला आने पर उस पर चर्चा करने के लिये एक न्यूज चैनल के दफ्तर गयी होती है.
इधर 'एक लड़की' को उसी सुबह फेसबूक पर 'धर्मनिरपेक्ष अपराधी' का फ्रेंड रिक्वेस्ट आता है. लड़की सबको दिखाती है;
एक लड़की: "वाऊ, देखो कितने डाऊन टू अर्थ इंसान हैं ना?"
फिर वह उसका रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लेती है.
फिर 'लड़की' के फोन पर कॉल करता है (जबकि 'लड़की' ने अपना नंबर उसे नहीं दिया था, तो सवाल उठता है कि उसका नबर धर्मनिरपेक्ष अपराधी के पास कैसे पहुँचा?) लड़की उसका नंबर नहीं जानती इसलिये नहीं उठाती. फिर वह 'अपराधी' उस लड़की को 'वाट्स अप' पर ढूंढ कर उसपर उसको संदेश भेजता है, "फोन उठाओ"
लड़की: "आप कौन?"
धर्मनिरपेक्ष अपराधी: "अपराधी"
लड़की: "ओह सर आप है, मेरे पास आपका नंबर नहीं है ना, इसलिये नहीं उठाया."
अपराधी: "आज घर आ जाओ."
लड़की: "आज तो मैं अपने घर जा रही हूँ सर, फिर कभी आ जाऊँगी."
अपराधी: "नहीं, आज ही आ जाओ."
लड़की: "नहीं सर. आज मेरे कुछ रिश्तेदार आने वाले हैं, इसलिये मैं नहीं आ सकती."
अपराधी: "बहुत हो गयी रिश्तेदार. अब यह सब छोड़ो और यहाँ आ जाओ. और यह बात किसी को मत बताना."
लड़की: "सॉरी सर, मैं नहीं आ सकती."
अपराधी उदास होकर : "मैं बहुत निराश हूँ."
फिर इसी तरह की बात होती रहती है.
शाम को जब 'दबंग औरत' अपने फ्लैट पर आती है तो 'पहाड़ी आदिवासी लड़की' उसे अपने साथ हुये अन्याय के बारे में बताती है.
दबंग औरत (जो बहुत क्रांतिकारी विचारों के लिये जानी जाती है, वह बजाय इसके कि, उस लड़की को हिम्मत देकर संघर्ष करने के लिये तैयार करे, वो उससे पूछती है कि वह क्या करना चाहती है, ताकि वह लड़की अपनी मुश्किलें याद करके संघर्ष करने से पीछे हट जाये. 'दबंग औरत' का रुख देखकर 'पहाड़ी आदिवासी लड़की' कहती है कि वह उस अपराधी पर कार्यवाही बाद में करेगी, लेकिन अभी उसका मेडिकल करा दिया जाये, लेकिन 'दबंग औरत' यह कह कर उसे शांत कर देती है कि, इससे पुलिस रिपोर्ट करवाना ही पड़ेगा. तब 'क्रांतिकारी भाई' कहते हैं कि, पुलिस रिपोर्ट करके क्या होगा, इससे मामला कई साल चलेगा, फालतू में पैसे भी लगेंगे और कुछ होगा भी नहीं. फिर 'दबंग औरत' और 'क्रांतिकारी भाई' उसे 'आई-पिल्स' लाकर खाने के लिये देते हैं. 'पहाड़ी आदिवासी लड़की' अपने इतने बुरे दिनों को देखकर रोने लगती है.
इधर 'एक लड़की' जिसे 'अपराधी' बार-बार अपने घर बुलाता है, उसे घटना के तीन-चार दिन बाद 'पहाड़ी आदिवासी लड़की' के साथ हुये अन्याय के बारे में बताया जाता है, जबकि उनको पता होता है कि, 'अपराधी' उस लड़की को अपने घर बुलाने की कोशिशें कर रहा है.
बात धीरे-धीरे फैलती है. यह बात फैलते-फैलते किसी तरह, 'जहरीला, फिजियोथेरेपिस्ट, बैल, हमसफर और 'भाई' तक पहुंचती है. तब सब 'एक लड़की' के साथ 'दबंग औरत' के फ्लैट जाते हैं, जहाँ 'दबंग औरत' और 'क्रांतिकारी भाई' ने 'पहाड़ी लड़की' को भड़का रखा था, कि वे उसको बदनाम कर देंगे. जब जहरीला और बाकी लोग अपने सवाल उनके सामने रखते हैं, सारे सवालों में से किसी का जवाब नही मिलता. सिर्फ भावनात्मक बातें की जा जाती है.
क्रांतिकारी भाई कहते हैं कि उन्हें "इस घटना के बाद से नींद नहीं आई है, उन्हें सपने आ रहे हैं कि, जैसे उनकी ही बहन का उनके सामने बलात्कार हो रहा है. वे 'धर्मनिरपेक्ष अपराधी' को तुरंत मारना चाहते हैं, लेकिन चार दिन से हम 'पहाड़ी आदिवासी लड़की' को ही संभालने में लगे हैं. इसे 'अपराधी' से इतनी घिन्न आ चुकी है कि, उसका नाम लेते ही इसको उल्टी आ जाती थी. हमारी पहली प्राथमिकता इसको नार्मल करना था. ऐसे में हम केस करने और किसी और चीज के बारे में कैसे सोच सकते थे." हालांकि उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं रहता कि, फिर इस मामले को हल किये बिना आपने 'पहाड़ी इलाकों' में अपनी टीम काम करने के बाद कैसे सोचा? आपकी टीम के सदस्यों के साथ हुये शोषण के खिलाफ संघर्ष करना क्या आपकी पहली प्राथमिकता नहीं होनी चाहिये थी?
लेकिन कुछ देर बाद ही पहाड़ी लड़की फिजियोथेरेपिस्ट और अन्य साथियों के साथ सामान्य तौर पर बात करने लगती है. यह देखकर 'दबंग औरत' और 'क्रांतिकारी भाई हैरान हो जाते हैं. फिर 'पहाड़ी लड़की' फिजियोथेरेपिस्ट और उनके साथ आये लोगों के साथ बाहर निकलती है और उन्हें सारी बाते बताती है.
फिर तय होता है कि वह लड़की उन सबके साथ जायेगी. जब यह बात 'क्रांतिकारी भाई' को पता चलती है तो उनके होश उड़ जाते हैं, वो दबंग औरत से खुसर-पुसर करते हैं तो दबंग औरत भी इन सबके साथ जाने की बात करती है. लेकिन जहरीला इस बात से मना कर देता है. फिर सब 'पहाड़ी लड़की' को लेकर वहां से निकल जाते हैं.
'पहाड़ी लड़की' के फिजियोथेरेपिष्ट और अन्य साथियों के पास आते ही, 'दबंग औरत' और 'क्रांतिकारी भाई' तमाम भावनात्मक पोस्ट फेसबूक पर लिखने लगते हैं. उनके मन का डर उनके पोस्ट से झलकने लगता है. और इसी बीच 'क्रांतिकारी भाई' अपनी तथाकथित बहन के शोषण के खिलाफ लड़ने के बजाय 'पहाड़ी इलाकों' में कार्य करने के बहाने निकल लेते हैं.
इधर पहाड़ी लड़की धीरे-धीरे सामान्य होती है और दो दिन के अंदर ही केस करने के लिये तैयार हो जाती है, फिर फिजियोथेरेपिस्ट भाई अपने एक परिचित डाक्टर के पास ले जाकर उसका मेडिकल कराते हैं. उसी सुबह 'दबंग औरत' का पहाड़ी लड़की को फोन आता है कि चलो तुम्हारा मेडिकल करवा दे. जबकि जब तक 'पहाड़ी आदिवासी लड़की' उनके पास रहती है तो उनको ऐसा कोई डाक्टर नहीं मिलता जो बिना रिपोर्ट के ही उसकी मेडिकल जांच कर दे.
फिर शाम को फोन आता है कि 'दबंग औरत' सबसे मिलना चाहती है. फिर सब उससे मिलने के लिये चल पड़ते हैं.
.................... क्रमशः (अगले भाग में समाप्त)